शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2019

तुम्हें ज़िंदगी कह तो दिया

उस रोज़ पूछा था किसी ने हमसे
तुम्हारा नाम क्या है
हमने ये कहकर उन्हें
मुस्कराने की वजह दे दी
कि एक दूसरे का नाम न लेना ही तो
हमारा प्रेम है...
कितने बावले हैं लोग
कि वो तुम्हें कहीं भी ढूंढ़ते हैं
मेंडलीफ की आवर्त सारणी में,
न्यूटन के नियम में,
पाइथागोरस की प्रमेय में,
डार्विन के सिद्धांत में,
अंग्रेजी के आर्टिकल में,
हिंदी के संवाद में,
विषुवत रेखा से कितने अक्षांश की
दूरी पर बसते हो,
जानना चाहते हैं अक्सर लोग
बातों ही बातों में.
पर हम तो तुम्हें बस
ज़िन्दगी के नाम से जानते हैं.
कैसे कहें लोगों से
हम तुम्हें याद तक नहीं करते
तुमसे निकलने वाली चमक को
आइरिश अवशोषित कर
उर तक प्रेषित कर देता है,
और जब तुम हृदय में हो
तो निकट दृष्टि दोष होना स्वाभाविक है.
तुम हर कदम इस तरह साथ हो
कि तुम्हारी छाया में
अपना अस्तित्व खोना
हमें अप्रतिम होने का भान कराता है,
अनुभव करते हैं हर रात जब तुम्हें
अपने बिस्तर की सिलवटों में
गर्व होता है...
जीवन में तुम्हारे होने पर,
कि कितने ही और जन्म मांग ले
ईश्वर से
जीवन की समानांतर पटरी पर चलने को
तुम्हारे साथ
तुम्हारे लिए
नाम के नहीं...जन्म-जन्मांतर के साथी.

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8 टिप्पणियाँ:

यहां 23 फ़रवरी 2019 को 5:10 pm बजे, Blogger Anuradha chauhan ने कहा…

बेहतरीन प्रस्तुति

 
यहां 23 फ़रवरी 2019 को 8:50 pm बजे, Blogger सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

 
यहां 24 फ़रवरी 2019 को 1:59 am बजे, Blogger Onkar ने कहा…

बहुत सुन्दर

 
यहां 24 फ़रवरी 2019 को 3:03 am बजे, Blogger Sudha Devrani ने कहा…

बहुत सुन्दर ...गूढ़ अर्थ लिए...बेहतरीन रचना।

 
यहां 28 जून 2020 को 1:37 am बजे, Blogger Roli Abhilasha ने कहा…

देर से पढ़ने के लिए क्षमा चाहती हूँ.
बहुत आभार आपका 🙏

 
यहां 28 जून 2020 को 1:38 am बजे, Blogger Roli Abhilasha ने कहा…

आभार!

 
यहां 28 जून 2020 को 1:38 am बजे, Blogger Roli Abhilasha ने कहा…

आभार मान्यवर!

 
यहां 28 जून 2020 को 1:39 am बजे, Blogger Roli Abhilasha ने कहा…

देर से पढ़ने के लिए क्षमा चाहती हूँ.
बहुत आभार आपका 🙏

 

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