शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

तीन लघुकथाएँ

 स्पर्श


अँधेरों में एक काली छाया उभरी. विरह ने आगे बढ़कर उसे होठों से लगाना चाहा. कोने में पड़ी सिगरेट सुलग उठी और देखते ही देखते विरह के होठों से जा लगी. एक अरसे से निस्तेज पड़ी राखदानी को आज स्पर्श मिला.


क्रोनोलॉजी


पहाड़ बूंदों के इंतज़ार में तब तक अपने आँसू अंदर दबाता रहा जब तक पेड़ चिड़िया को आलिंगन में लिए रहा. आलिंगन तब तक सुखद रहा जब तक पेड़ ने बौराई हवा की राह तकी.


फिर एक माँ ने जैसे ही अपने नवजात को चूमा, हवा इठलाकर पेड़ से जा लिपटी. पंख फड़फड़ाकर चिड़िया उड़ी उसने पहाड़ को अपनी आग़ोश में भर लिया. मेघ बरसते गए और पहाड़ जी भर रोता रहा.


इश्क़ फिर भी है


कागज़ स्याही पर फ़िदा है और कलम कागज़ को देखते ही कसमसाती है. तीनों अलग-अलग सियाह से हैं.

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4 टिप्पणियाँ:

यहां 25 सितंबर 2020 को 3:20 am बजे, Blogger अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२६-०९-२०२०) को 'पिछले पन्ने की औरतें '(चर्चा अंक-३८३६) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी

 
यहां 25 सितंबर 2020 को 3:39 am बजे, Blogger Onkar ने कहा…

बहुत सुंदर

 
यहां 25 सितंबर 2020 को 8:23 pm बजे, Blogger मन की वीणा ने कहा…

वाह!! अद्भुत।

 
यहां 2 नवंबर 2020 को 12:44 am बजे, Blogger शिवम कुमार पाण्डेय ने कहा…

बहुत बढ़िया।

 

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