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तीन लघुकथाएँ

 स्पर्श


अँधेरों में एक काली छाया उभरी. विरह ने आगे बढ़कर उसे होठों से लगाना चाहा. कोने में पड़ी सिगरेट सुलग उठी और देखते ही देखते विरह के होठों से जा लगी. एक अरसे से निस्तेज पड़ी राखदानी को आज स्पर्श मिला.


क्रोनोलॉजी


पहाड़ बूंदों के इंतज़ार में तब तक अपने आँसू अंदर दबाता रहा जब तक पेड़ चिड़िया को आलिंगन में लिए रहा. आलिंगन तब तक सुखद रहा जब तक पेड़ ने बौराई हवा की राह तकी.


फिर एक माँ ने जैसे ही अपने नवजात को चूमा, हवा इठलाकर पेड़ से जा लिपटी. पंख फड़फड़ाकर चिड़िया उड़ी उसने पहाड़ को अपनी आग़ोश में भर लिया. मेघ बरसते गए और पहाड़ जी भर रोता रहा.


इश्क़ फिर भी है


कागज़ स्याही पर फ़िदा है और कलम कागज़ को देखते ही कसमसाती है. तीनों अलग-अलग सियाह से हैं.

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