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दूरी

निश्चय ही कोई पूर्व वाला  तड़पा होगा
किसी उत्तर वाले से मिलने को 
और बनी होगी पूर्वोत्तर रेलवे 
इस तरह मिटायी होगी दूरी 
दो दिशाओं के मध्य;
क्यों नहीं आता मेरा मन 
ऐसी ही किसी गाड़ी पर बैठकर 
जो देश,  काल,  समय न मानती हो

3 टिप्‍पणियां:


  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 3 अगस्त 2022 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
    >>>>>>><<<<<<<
    पुन: भेंट होगी...

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  2. बहुत सुंदर,मन को छूती हुई पंक्तियां

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  3. क्या बात 👌👌👌👌 यानि कि जो भी रेल चली उसका आधार ये ही था । 😄

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