Wikipedia

खोज नतीजे

चाय के बहाने प्यार

आओ उफानते हैं
केतली भर प्यार आज
कविता दिवस के दिन
तुम मेरी बाहों में सोना
मैं सर रख लूँगी अपना
तुम्हारे सीने पर,
उबलते रहेंगे
हम दोनों के मन देर तक
पका लेंगे उसमें
प्यार, नोकझोंक,
तकरार की मीठी बातें
और छान लेंगे
एक दूसरे के मन में;
कड़वाहटें अलग करके

5 टिप्‍पणियां:

विश्वमोहन ने कहा…

बहुत ही मीठी रचना।

Onkar ने कहा…

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

Onkar Singh 'Vivek' ने कहा…

वाह ख़ूब

अनीता सैनी ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन।

उर्मिला सिंह ने कहा…

वाह ....लाज़बाब

मेरी पहली पुस्तक

http://www.bookbazooka.com/book-store/badalte-rishto-ka-samikaran-by-roli-abhilasha.php