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लफ़्ज़ों में कहानी

मेरे दर्द के पन्नों में सितम की कहानी रख दे,
बारिश की हथेली पर अश्क का पानी रख दे।
हैं रुखसार तेरी आंखे नज़ाकत सी हया वाली,
ग़म तू पी जा, इनमें इक ख्वाब रूमानी रख दे।
तेरे साथ हर वो पल जो तबीयत से जिया था,
बीते इश्क़ के लम्हों की, तस्वीर पुरानी रख दे।
इस तरह छुपा खुद में, मुझे मुझमें न रहने दे,
होठों पे सदा अपनी, लफ़्ज़ों में कहानी रख दे।
बरसेंगी यूँ ही आंखें सावन की तरह हमदम,
अब मयस्सर कहाँ तू, तेरे ख्वाब नूरानी रख दे।

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